गुरुकुल

सिद्धदाता आश्रम में स्वामी सुदर्शनाचार्य वेद-वेदांग संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना पूज्य महाराज के बैकुण्ठवास के उपरान्त स्वामी पुरूर्षोत्तमाचार्य जी की सत्प्ररेणा से आश्रम के पंचम-स्तंम्भ के रूप में हुई है। विद्यालय की वेद, व्याकरण, साहित्य एवं कर्म काण्ड की शास्त्री कक्षा तक की मान्यता सम्पूर्णानन्द–संस्कृत-विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्राप्त है। इसमें आचार्य एवं शोध विषय में गंभीर शास्त्रीय अन्वेषण के लिए पाठ्यक्रम की मान्यता अपेक्षित है। इसके साथ ही वैदिक वांग्मय के संरक्षण के लिये भारत सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली के तत्वावधान में संचालित महर्षि-सान्दीपनि-राष्ट्रीय-वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के अंतर्गत वेद विद्यालय की मान्यता प्राप्त है। यहाँ पर चारों वेदों के अध्ययन अध्यापन तथा प्राचीन परम्पराओं के संरक्षण हेतु कार्यक्रम चल रहा है। जिस में वैदिक वङ्मय में अध्ययनरत छातों के लिये नि:शुल्क भोजन, आवास, वस्त्र की व्यवस्था आश्रम के माध्यम से किया जा रहा है। विद्यालय का निर्देशन (पूर्व प्राचार्य हरियाणा–संस्कृत-विद्यापीठ,बघौला मानित विश्वविद्यालय राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली) के डाo गुञ्जेश्वराचार्य के सफल संरक्षण में चल रहा है। इस प्रकार संस्कृत भाषा और वेद विद्या के प्रचार प्रसार और लोकोपकार का कार्य इसके द्वारा सम्पन्न हो रहा है।

इसे विश्व स्तर के रूप में विकसित करने की प्रबल इच्छा शक्ति स्वामी पुरूर्षोत्तमाचार्य जी के मन में विद्यमान है।

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