श्री यज्ञशाला

श्री वैष्‍णव धर्म में यज्ञशाला का विशेष महत्‍व माना जाता है। यज्ञदेव भगवान् और अपने आराध्‍य की कृपा पाने के लिए यज्ञ को बहुत ही विशेष और परम साधन माना जाता है। श्री गुरू महाराज ने श्री सिद्धदाता आश्रम में इस यज्ञशाला को स्‍थापित कर मुमुक्षुओं पर परम कृपा की। आश्रम में श्री गुरू महाराज द्वारा स्‍थापित यह यज्ञशाला वर्ष भर चलने वाले अनेकों कार्यक्रमों में यह यज्ञशाला प्रमुख निमित्‍त बनती है। श्रीमद् जगद्-गुरू रामानुजाचार्य स्‍वामी पुरूषोत्‍तमाचार्य महाराज यहाँ पर बैठकर सैकड़ों व्‍यक्‍तियों के साथ हवन करते हैं। इस यज्ञशाला में ही दैवीय बाधाओं के निराकरण के लिए एक स्‍थान निमित्‍त बनता है, जहाँ स्‍वत: चालित प्रक्रिया में प्रेत-व्‍याधा आदि से पीड़ित जन दूर दूर से आकर प्रार्थना करते है और अपने कष्‍टों से मुक्‍ति पाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया स्‍वत: चालित होने से किसी भी प्रकार के दिखावे से दूर है। जो भी होता है, परमात्‍मा की कृपा से होता है।

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