श्री गुरु महाराज की समाधि
वैकुण्ठवासी श्रीमद् जगद्-गुरू रामानुजाचार्य स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज के भौतिक लीला का त्याग कर वैकुण्ठवास कर लेने पर श्री लक्ष्मीनारायण दिव्य धाम में उनकी स्मृति में बगीची में ही समाधि बनाई गई। दिव्य धाम में जाने वाले भक्त समाधि स्थल पर जाना बिल्कुल नहीं भूलते। भक्तों के अनुभवों में यह स्थान आस्था का विशेष केंद्र है। उनका कहना है कि समाधि तो मात्र निमित्त ही है। वास्तव में श्रीगुरू महाराज यहाँ कण-कण में वास करते हैं और हर क्षण अपने शिष्यों के संकटों को हरते हैं। बहुत सुंदर और शांत यह समाधि भक्तों को अपने दैनिक जीवन में नित-तरक्की और मुक्ति की राय प्रशस्त करती दिखाई देती है। गुरू भक्तों के लिए तो यह तीर्थ स्थल जैसा है। इसको केवल भाव की कसौटी पर ही परखा जा सकता है, गुरू महाराज के आदर्श वाक्य ‘भाव में ही भाव है मेरा’ को यहाँ पर चरितार्थ होते देखा जा सकता है।