पुस्तकालय
स्वाध्याय और अध्ययन से व्यक्ति की सोच विकसित होती है। ऐसा मानने वाले हमारे श्रीमद् जगद्-गुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरूषोत्तमाचार्यजी महाराज ने भक्तजनों के पठन-पाठन के लिए एक पुस्तकालय की स्थापना की है, जिसमें दस हजार से अधिक पुस्तकें पाठकों के लिए उपलब्ध है। पुस्तकालय में धर्म, अध्यात्म, दर्शन, ज्योतिष, कर्मकाण्ड आदि-आदि विषयों के साथ-साथ पौराणिक ग्रंथ व बाल, महिला, स्वास्थ्य विषयों पर भी सैंकड़ों पुस्तकें उपलब्ध हैं। दिव्य धाम में प्रवेश के साथ ही मौजूदा इस पुस्तकालय में बैठकर पुस्तकें पढ़ने की बात ही कुछ और है। यहाँ पर भक्ति भरे माहौल में भक्तों को अपने विचारों को सुदृढ़ करने का मौका प्रदान किया जा रहा है। पुस्तकालय भक्तों के बीच विचार आदान-प्रदान करने के लिए भी उत्तम स्थान है। इसकी सदस्यता नाममात्र के शुल्क पर उपलब्ध है और यह सदस्यता किसी भी व्यक्ति को प्रदान की जा सकती है।