इतिहास

अरावली पर्वत के उपत्यका पर फरीदाबाद मण्डलान्तर्गत तव्यास पहाड़ी के भूखण्ड पर सिद्धदाता आश्रम के निर्माण के लिए 1989 में कार्य प्रारंम्भ हुआ। इस भूखण्ड ग्रहण के विषय में एक रोचक किन्तु भावपूर्ण किंवदन्ती जुड़ी हुई है। फरीदाबाद से दिल्ली की ओर जाते समय अचानक गाड़ी रूकने के कारण जून के प्रचण्ड आतप मध्य दिन में महाराज जी को जल का चमकाता हुआ स्रोत दिखाई दिया। वाहन रोक कर निरीक्षण बुद्धि से देखने पर कुछ भी दिखाई नही दिया। परन्तु कुछ अव्यक्त वाणी सुनाई दी, जिसे प्रमाण मानकर उसी स्थान पर आश्रम बनाने की प्रेरणा ग्रहण कर उसे क्रियान्वित करने के लिए प्रारंभिक गतिरोध के बाद इस महान कार्य में सफल हुए और आश्रम निर्माण का कार्य सम्पन्न हुआ।

इसके बाद में भगवदाज्ञा को स्वीकार करते हुए श्रीलक्ष्मीनारायण दिव्यधाम निर्माण का कार्य 1996 के विजयादशमी के पावन पर्व पर आरम्भ किया गया। । महाराज जी के अहर्निश अनथक परिश्रम, भक्तजनों के द्वारा की गई कार सेवा के परिणामस्वरूप चार वर्ष के अत्यल्प समय में ऐसे तीर्थ स्थल का निर्माण किया, जिसके दर्शन से अनन्त काल तक श्रद्धालु भक्त लोग पुण्य लाभ प्राप्त कर जीवन सफल बनाते रहेंगे। यहां पर समस्त भक्तजनों की श्रद्धानुसार सभी मनोकामनाएँ धर्म, अर्थ; काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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