गुरू महाराज की शिक्षाएं

  • सच्चा वैष्णव वही है जो हर परिस्थिति में परमात्मा की कृपा का अनुभव करता है।
  • संसार के मोह के त्याग के बिना भक्ति नही।
  • कलियुग में नाम सेवा प्रधान है। नाम तो परमात्मा से भी श्रेष्ठ है।
  • ईश्वर एक है केवल उसके नाम स्वरूप अनेक है।
  • परमात्मा केवल प्रेम की भाषा समझते हैं।
  • गुरु तत्व और ईश्वर तत्व एक है।
  • सत्संग के बिना ज्ञान प्राप्त नही होता।
  • बिना गुरु संत के भगवान की प्राप्ति सम्भव नही।
  • प्रेम के बिना प्रभु का साक्षात्कार सम्भव नही।
  • संसार में केवल की तरह रहो। संसार बाधक नही उसका चिन्तन, उसकी आसक्ति बाधक है।
  • परहित के लिये जीना ही जीना है।
  • ठाकुर जी की सेवा करने वाला वैष्णव है पर गरीबों और गयों की सेवा करने वाला महा-वैष्णव है।
  • सेवा पूजा करते मूर्ति को चेतन मानों। मूर्ति में साक्षात परमात्मा हें, ऐसा मानो।
  • प्रभु प्राप्ति का प्रभु शरणागति सर्वोत्तम उपाय है।
  • संसार बुरा नही, उसमें आसक्ति बुरी है।
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