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विधि सहित दीक्षा लेकर बने गुरु के शिष्य
23-01-2022

दीक्षा व्यक्ति का दूसरा जन्म, अच्छे बुरे की समझ होती है विकसित - जगदगुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य

सेक्टर 44 सूरजकुंड रोड स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम (श्री सिद्धदाता आश्रम) में आज नामदान दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें लोगों ने गुरु की शरण ली। इस अवसर पर दिव्यधाम एवं आश्रम के अधिपति श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने गुरु दीक्षा विधि पूर्ण की।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गुरु शिष्य का संबंध अनादि काल से चला आ रहा है और गुरु अपने शिष्य की कुलशक्षेम के लिए परमात्मा के सामने उनकी वकालत करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीजी यानि लक्ष्मी जी ने स्वयं इस संप्रदाय का प्रारंभ किया और विष्वकसेन द्वारा मानव मात्र को मानवता अपनाने के लिए संदेश दिया। उन्होंने लोगों को परमात्मा का पुत्र होने और उनके गुणों से ओतप्रोत रहने का मंत्र भी दिया। इसके बाद गुरु परंपरा में आए भाष्यकार रामानुज स्वामी ने हजारों हजार को मुक्ति का अधिकारी बनाया और पूरे भारतवर्ष में आठ पीठों की स्थापना की और उस समय धर्म को पुन: प्रतिष्ठित किया।

इसी प्रकार श्री सिद्धदाता आश्रम के संस्थापक वैकुंठवासी स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने भी यहां हजारों लाखों लोगों को मानवता का मूल मंत्र प्रदान किया। स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि एक बार आपने जिसे गुरु मान लिया, उसके बाद गुरु आपके कुशलक्षेम को लेकर परमात्मा से निरंतर प्रार्थना करता है, वकालत करता है। जिससे शिष्य को मुक्ति मिलती है। उन्होंने यहां पंचविधियों द्वारा लोगों को गुरु दीक्षा प्रदान की।

गौरतलब है कि करीब 27 वर्षों से स्थापित श्री सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम ने लाखों लोगों को धर्म की राह पर चलाया है जिसको श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने बखूबी संभाल रहे हैं। यही कारण है कि यहां चल रहे निरंतर भक्ति, भजन, कीर्तन, प्रार्थना, सेवा, शिक्षा, पठन पाठन आदि प्रकल्पों से लाखों लोग लाभांवित हो रहे हैं।



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