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2) मानवता अपनाएं और जनसेवा में जुटें नवदीक्षार्थी - स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य
12-12-2022

श्री सिद्धदाता आश्रम में सैकड़ों लोगों को दीक्षा देने के बाद बोले जगदगुरु स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज

नवदीक्षार्थी स्वयं मानवता को अपनाएं और जनसेवा में जुटें। यह संदेश श्री सिद्धदाता आश्रम के अधिपति जगदगुरु स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने आज दीक्षा कार्यक्रम में कहे। उन्होंने यहां सैकड़ों भक्तों को दीक्षा प्रदान की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि श्री रामानुज परंपरा में दीक्षा प्रदान कर हम मानव को मानवता के मार्ग पर चलाने का प्रयास कर रहे हैं। रामानुज परंपरा की दीक्षा मोक्ष के लिए तो है ही, साथ ही अपने इहलोक को भी सुधारने के लिए है।

स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि इस परंपरा में आने के बाद आपको अपने जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन महसूस होंगे लेकिन दैहिक एवं भौतिक परिवर्तन आपको स्वयं स्वीकार करने होंगे। उन्होंने कहा कि नवदीक्षाॢथयों को समझाया गया है कि कैसे उन्हें समाज में अपने परिवर्तित स्वरूप के साथ प्रस्तुत होना है क्योंकि आपके चरित्र के आधार पर ही लोग आपको देखेंगे, हमें देखेंगे। स्वामीजी ने कहा कि आप सभी लोगों ने गुरु के सान्निध्य में भगवान की शरणागति ली है जिसका अर्थ है कि आप समझ गए हैं कि आपके लिए क्या करने योग्य है और क्या छोडऩे योग्य है। इसलिए अब आपको मानवता के मार्ग पर चलना है। जिसका अर्थ है कि आप सभी जीवों के कल्याण के लिए कार्य करेंगे। आपके कार्यों से किसी को हानि न हो और इस प्रकार आप परमात्मा की इच्छा को ही अपने जीवन में स्वीकार करेंगे। उन्होंने यहां प्रात: ही पहुंचे भक्तों को दीक्षा की विधि में संलग्न किया और उन्हें यज्ञ, ताप , पुण्ड्र, यज्ञोपवीत और नाम देकर दीक्षा प्रदान की। इसके बाद सभी ने भगवान श्रीमन्नारायण के समक्ष दण्डवत होकर शरणागति ली।

इस अवसर पर स्वामीजी ने सभी भक्तों की बाजुओं पर तप्त शंख चक्र लगाया और उनके कान में दीक्षा का मंत्र प्रदान किया।



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