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भगवान की लीलाओं से सीखें जीवन का सार - पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज
28-08-2013

-सेक्टर 44 स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में धूमधाम से मनी जन्माष्टमी -हजारों लोगों ने किए लाला के दर्शन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूमधाम

अनंत श्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद् जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने हजारों भक्तों की मौजूदगी में भगवान श्रीकृष्ण की 5239 वीं जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि धरती पर जब पाप बढ़ जाते हैं तो भगवान अवतार लेकर आते हैं। श्रीराम, श्रीकृष्ण, श्रीनृसिंह आदि अवतार इन्हीं कारणों से हुए हैं। वह दिव्यधाम में आयोजित जन्माष्टमी महोत्सव के अवसर पर प्रवचन कर रहे थे। इस अवसर पर हजारों की सं या में भक्तों ने भगवान की झांकियों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनन्द उठाया।

अनंत श्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद् जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब भगवान अवतार लेकर मानव की रक्षा करते हैं, शांति स्थापित करते हैं। भगवान नारायण ने श्रीराम व श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिए लेकिन दोनों युगों के वातावरण के अनुसार दोनों के काम करने में अंतर रहा तो उनके जन्म लेने और धरा से जाने के तरीकों में भी अंतर रहा। एक ओर श्रीराम जहां मर्यादापुरुषोत्तम कहलाए वहीं श्रीकृष्ण ने धर्म की रक्षा के लिए कई जगह पर मर्यादा की सीमाओं का पुर्नमूल्यांकन भी किया। वह गोपेश्वर कृष्ण एक आम आदमी, एक राजा, एक दोस्त आदि अनेक रूपों में हमारे सामने उदाहरण छोडक़र गए जिन्हें हमें अपनाना चाहिए। तभी जन्माष्टमी मनाने का हमारा मंतव्य पूरा होगा।

स्वामीजी ने रात्रि 12 बजे लाला के जन्मोत्सव की परंपरा का निर्वहन किया और लाला यानि कान्हा को पालकी में लेकर भक्तों के बीच और सभी को उनके दर्शन कराए। इस अवसर पर यश भारती पुरस्कार से स मानित वृंदावन की मशहूर टोली पंडित मुरालीलाल शर्मा के समूह ने अनेक भजनों, नृत्यों के जरिए भक्तों को जमकर झुमाया। वहीं वंदना व रोहिल्ला गु्रप की प्रस्तुतियों को भी लोगों ने खूब सराहा।

श्री लक्ष्मीनारायण दिव्य धाम के प्रांगण में गणेशजी, रथ पर सवार भगवान श्रीकृष्ण व अर्जुन, भाष्यकार रामानुज स्वामी, शेषशायी भगवान विष्णु, कैलाश पर्वत पर विराजित भगवान शंकर, गोवर्धन पर्वत उठाए भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम व लक्ष्मणजी को कंधों पर उठाए हनुमान जी, कारागार में बंदी देवकी वसुदेव, श्री नृसिंह भगवान, उबलते पानी में भक्त प्रहलाद को डलवाते हिरण्यकशिपु आदि झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। इस अवसर पर हजारों भक्तों ने प्रसाद प्राप्त किया और लाला के जन्म की बधाइयां गाईं।



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