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गऊ वंश संवद्र्धन भारतीय संस्कृति का संरक्षण : स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज
10-11-2013

फरीदाबाद (१० नवंबर, 2013) : गऊ भारतीय संस्कृति की वाहक है। गऊ वंश का संवद्र्धन भारतीय संस्कृति का संरक्षण है। यह कहना था अनंत श्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद् गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज का। पूज्य गुरुदेव रविवार को गोपाष्टमी के अवसर पर श्री सिद्धदाता आश्रम की नारायण वाटिका गऊशाला में आयोजित गऊ पूजन समारोह में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक परिक्षण सिद्ध कर चुके हैं कि कई असाध्य रोगों में गऊ घृत एवं मूत्र रामबाण औषधि सिद्ध हुए हैं। उन्होंने आर्थिक, सामाजिक एवं वैज्ञानिक आदि विभिन्न रूपों में गऊ की उपयोगिता पर वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि गऊ न सिर्फ दूध के लिए बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद उपयोगी जीव है। शास्त्रों में गऊ को माँ एवं पृथ्वी का पर्याय माना गया है। इससे पहले पूज्यगुरुदेव ने विधिवत गऊ पूजन किया एवं गऊशाला की सैकड़ों गायों को हरा चारा खिलाया। इस अवसर पर मुफ्त चिकित्सा शिविर का भी आयोजन श्री सिद्धदाता आश्रम में किया गया। जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों ने 512 मरीजों का इलाज किया।



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