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बीज बोने के बाद ही मिलेगी फसल - जगद्गुरु
01-01-1970

-श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम, श्री सिद्धदाता आश्रम में नववर्ष एवं पीठाधिपति स्वामी का जन्मोत्सव मनाने जुटे हजारों भक्त

-भक्ति संगीत, संकीर्तन, प्रवचन एवं आशीर्वाद की बही बयार

बिना निवेश के किसी भी चीज के परिणाम सामने नहीं आते हैं। लेकिन इंसान अध्यात्म में बिना कोशिश किए सबकुछ पाने की इच्छा रखता है, जो कि गलत है। अध्यात्म में भी आपको निवेश करना होगा, स्वयं को समर्पित करना होगा, तभी परमात्मा की प्राप्ति होगी। यह कहना था अनंत श्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज का। वह सेक्टर 46 स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्य धाम श्री सिद्धदाता आश्रम में आयोजित नववर्ष महोत्सव के अवसर पर भक्तों को प्रवचन कह रहे थे।

स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि पूरा महीने नौकरी करने के बाद वेतन मिलता है, निवेश के बाद व्यापार फलता है, बीज बोने के बाद फसल मिलती है लेकिन व्यक्ति भगवान को हाथों-हाथ पा लेना चाहता है। यह गलत परंपरा है जिसके परिणाम दुखकारी होते हैं। उन्होंने कहा कि नववर्ष के पहले दिन या पूर्व संध्या पर लोग होटलों आदि जगह जाकर वो सब काम करते हैं जिन्हें अकर्म कहा गया है। लेकिन आज जो आश्रम प्रांगण व परिक्रमा मार्ग में शांति से बैठकर या खड़े रहकर भगवान के लीला चरित्र को सुन रहे हैं, वह कल्याण के पात्र हैं इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।

उन्होंने कहा कि हर कोई पाने की इच्छा रखता है कोई खोना नहीं चाहता है। जब भौतिकवाद में पाने का सिद्धांत निवेश है तो अध्यात्म को इतना हलका क्यों समझ लिया। उन्होंने कहा कि आदमी की जिंदगी गणित जैसी है। जिसमें पहले 10 वर्ष उसका बालपन, उसके बाद 11 से 18 तक शिक्षा, 19 से 48 तक सांसारिक कर्म करते हुए परमात्मा का ध्यान, 49 से 50 तक किए हुए कर्मों पर पुनर्विचार, 51 से 58 तक वानप्रस्थ और इसी प्रकार जीवन में आगे बढ़ते हुए 100वें वर्ष में मुक्ति होगी।

स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि परमात्मा के कृपा शरीर मानव को लोग भूल गए हैं और अन्य अन्य कामों में लग गए हैं। जो कि दुख आदि के सही कारण हैं। लेकिन जब भगवान से लौ लग जाएगी तो सभी कारणों का निवारण हो जाएगा और भक्त को दुख व सुख से भी मुक्ति मिल जाएगी। उन्होंने अनेक कहानियों, वेद वेदांग आदि के उदाहरणों द्वारा व्यक्ति को परमात्मा के मार्ग पर चलने के लिए जागृत किया।

एक जनवरी को महाराज का जन्मोत्सव होने से भी यहां पर आने वाले भक्तों की संख्या भारी थी। शहर के तमाम धार्मिक स्थलों के मुकाबले यहां पर सर्वाधिक भक्त आए। इस अवसर पर आश्रम की मासिक पत्रिका श्री सुदर्शन संदेश के विशेषांक, आश्रम की वार्षिकी सुदर्शनालोक, आश्रम की डायरी, गुरुभक्ति पर इंगलिश बुक श्री गुरुजी का विमोचन भी श्री महाराज ने किया। उन्होंने स्वामी सुदर्शनाचार्य संस्कृत वेद वेदांग विद्यालय में आधुनिक कंप्यूटर लैब का भी उद्घाटन किया। वहीं जयपुर से आए मशहूर गायक संजय पारिख के गीतों जहां तुम चलोगे वहीं मैं चलूंगा, मैया बधाई हो बधाई आदि पर हांगकांग, साउथ अफ्रीका, नाइजीरिया, दुबई, आस्ट्रेलिया सहित देश भर से आए हजारों भक्तों ने जमकर ठुमके लगाए। संस्कृत नाटिका गुरु शिष्य को भी सभी ने सराहा।



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