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श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम, श्री सिद्धदाता आश्रम में धूमधाम से मना नववर्ष
01-01-2015

सबसे सुंदर तन पाने वाले मानवों, मैं आप का आह्वान करता हूं कि नववर्ष के इस पहले दिन ही अपने लक्ष्य को तय कर लो तो आगे परेशानी नहीं आएगी। यह शब्द श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहे। वह श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम, श्री सिद्धदाता आश्रम में आयोजित नववर्ष कार्यक्रम में प्रवचन कह रहे थे। इस दिन उनका जन्मदिन होने से भी यहां हजारों भक्त बधाई देने जुटे।

इस अवसर पर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि भौतिक लक्ष्य बनाना बुरी बात नहीं है, लेकिन उसमें डूबकर आध्यात्मिक लक्ष्य को भूल जाना गलत है। उन्होंने कहा कि भक्ति के माध्यम से हनुमान ने श्रीराम को वश में कर लिया। नाम की महिमा ही ऐसी है। हनुमान ने भगवान राम के नाम को लक्ष्य किया और राम से बड़ा राम का नाम हो गया। उन्होंने कहा कि इस बहुमूल्य शरीर को व्यर्थ न गवाएं और हर पल परमात्मा को ध्यान में रखते हुए सत का अनुसरण करें।

श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा कि सभी ग्रंथों में नारायण को परतत्व स्वीकार किया गया है। उनको मानोगे तो बाकी सब सध जाएगा। महाराज ने कहा कि व्यक्ति अंत समय तक राग, द्वेष, ईष्र्या, निंदा आदि में फंसा रहता है और समस्त जीवन को यूं ही गंवा देता है। जिससे उसके संसार में आने का मकसद ही पूरा नहीं हो पा रहा है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नाम सिमरण, संकीर्तन करें। उन्होंने अनेक दृष्टांतों के माध्यम से बताया कि जीव उस परमात्मा का अंश है और उसकी प्राप्ति करना ही जीव का प्रथम लक्ष्य है।

इस मौके पर उन्होंने श्री सिद्धदाता आश्रम की वार्षिकी सुदर्शनालोक 2015, नववर्ष कलैंडर एवं गुरु भजनों की सीडी गुरु वंदना भाग 10 का लोकार्पण भी किया। स्वामी सुदर्शनाचार्य संस्कृत वेद वेदांग महाविद्यालय ने महाराजश्री को पंचउपाधियों से विभूषित किया। आश्रम की देश विदेश में चल रही गतिविधियों के बारे में भी विस्तार से बताया गया। जिसमें आश्रम की दुबई, साउथ अफ्रीका के शहरों जोहानिसबर्ग एवं डरबन, नाइजीरिया के शहरों कानो एवं लागोस, स्पेन, हांगकांग, पूना मुंबई हाइवे पर स्थित कर्जत में गद्दियों, मंदिरों का विवरण दिया गया। इन जगहों से भी भक्त काफी संख्या में यहां पहुंचे। वहीं आश्रम की लोकोपकारी गतिविधियों के बारे में भी संक्षिप्त में बताया गया।

एक जनवरी को स्वामी जी का जन्मदिन होने से भी भारी संख्या और उत्साह में यहां भक्त जुटे और भजनों की मधुर धुनों पर अपने भाव प्रकट किए। भक्तों की भारी संख्या के कारण कार्यक्रम पूरे दिन चलता रहा।



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