हनुमानजी भक्ति के आचार्य और सेवा के पर्याय हैं - स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य
16-04-2022

फरीदाबाद। श्री हनुमान जयंती के अवसर पर श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम श्री सिध्ददाता आश्रम में भव्य आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर अधिष्ठाता श्रीमद जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने हनुमानजी का सविधि अभिषेक किया और भक्तों को आशीर्वाद एवं प्रसाद प्रदान किया।

इस अवसर पर श्री गुरु महाराज ने कहा कि हनुमानजी अपने सेवा का भाव से ही चिरंजीवी बने हैं। वह कलियुग के अंत तक प्राणियों को भक्ति की सीख देते रहेंगे और उनकी रक्षा भी करते रहेंगे। हनुमानजी की सेवा से प्रसन्न होकर ही भगवान ने उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया था। भगवान श्रीराम ने तो हनुमानजी को भक्ति का आचार्य भी कहा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान अपने भक्तों में सबसे अधिक हनुमानजी को प्रेम करते हैं। वहीं हनुमानजी भी भगवान की सेवा के सिवाय कुछ नहीं मांगते हैं। स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी ने कहा कि हनुमानजी ने तो नौलखा हार भी चबा दिया था, कि मनकों में प्रभु श्रीराम मिलेंगे। वह अति शक्तिशाली हैं लेकिन उन्हें इसका तनिक भी अहंकार नहीं है। यही कारण है कि समुद्र किनारे जब लंका जाने की बात होती है तो वह पूछते हैं कि कौन जाएगा। तब जाम्बवन्त जी उन्हें उनकी शक्तियों की याद दिलाते हैं, तब वह लंका जाते हैं। स्वामीजी ने कहा कि हनुमानजी प्रेम पाश में तो आ जाते हैं लेकिन किसी की शक्ति के पाश में नहीं बंधते हैं। वह अपने भक्तों के बंधन सहज रूप में काटते हैं।

इस अवसर पर श्री गुरु महाराज ने सभी भक्तों को प्रसाद एवं आशीर्वाद प्रदान किया वहीं भक्तों ने भोजनप्रसाद भी सुरुचि के साथ प्राप्त किया। इससे पहले उन्होंने श्री गुरु महाराज की समाधि एवं दिव्य धाम में भी पूजा अर्चना की। उन्होंने हनुमानजी के मूर्त रूप का सविधि गंगा जल, दूध, शक्कर, शहद आदि के साथ अभिषेक किया। जिसे पंचामृत रूप में भक्तों में भी वितरित किया गया। इस अवसर पर भजन, कीर्तन का भी समायोजन हुआ।



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