अंतिम समय में शरणागति ही आएगी काम : स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज
27-01-2013
श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में 540 ने ली दीक्षा-फरीदाबाद सेक्टर 44 स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्य धाम में रविवार को पंचविधियों दीक्षा की विधि संपन्न हुई। जिसमें देश विदेश से आए 540 लोगों ने गुरु से दीक्षा प्राप्त की। इस अवसर पर सभी ने यज्ञ में भी भागीदारी की।
दीक्षा देने के बाद आयोजित संक्षिप्त प्रवचन में दिव्यधाम के पीठाधिपति श्रीमद जगद्गुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने नव दीक्षार्थियों को दीक्षा व नाम दान का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि नामदान के बाद गुरु अपने शिष्यों के लिए मोक्ष के रास्ते खोलने लगते हैं। उन्होंने भक्तों को नारद-वाल्मीकि और अजामिल का उदाहरण देकर समझाया कि अंतिम समय में परमात्मा की शारणागति ही परम उपाय है। नारद ने डाकू रत्नाकर से पूछा कि वह पाप कर्म किसके लिए करता है उसने कहा कि वह अपने परिवार के लिए करता है तो उन्होंने कहा कि परिवार इस पाप के भोग को भोगेगा। जिस पर रत्नाकर ने अपने परिवार से पूछा तो उन्होंने उसके किए पाप में भागी होने से इनकार कर दिया है। जिसके बाद रत्नाकर को सच्चा कर्म पता चला और आगे चलकर वह वाल्मीकि रामायण के रचयिता हुए। इसी प्रकार अनेक प्रकार के पापकर्म करने वाला अजामिल अपने पुत्र नारायण का नाम लेने मात्र से यमदूतों से बच गया।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने बताया कि दीक्षा में मिले नाम को जपने वाले भक्तों को परमात्मा की प्राप्ति सुगम हो जाती है। वहीं गुरु की बताई राह पर चलने से मुक्ति में कोई संशय नहीं रहता है। उन्होंने बताया कि रामानुज संप्रदाय के परम संत रामानुजाचार्य शेषनाग के अवतार थे। जिन्होंने भगवान के आदेश से धरती पर आकर मानव को परमात्मा की ओर लगाया। उन्होंने भक्तों को पंच प्रक्रिया से गुजारकर नामदान प्रदान किया। जिसके बाद यह क्रिया वैष्णवों में महत्वपूर्ण हो गई। इसमें यज्ञ विधि भी संपन्न हुई जिसमें सैकड़ों लोगों ने समिधा डालीं।