भाष्यकार रामानुजाचार्य जयंती समारोह आयोजित-श्री सिद्धदाता आश्रम में हुआ भव्य आयोजन
14-05-2013

फरीदाबाद (14 मई, 2013) : श्री मद् जगद् गुरु रामानुजाचार्य ने रुढिय़ों का भंजन किया और विशिष्ट अद्वैत वेदांत दर्शन दिया और वैष्णव संप्रदाय का प्रचार प्रसार किया। यह कहना था श्रीश्रीश्री त्रिदण्डि चिन्न श्रीमन्नारायण रामानुज जीयर स्वामी का। श्री जियरस्वामी श्री सिद्धदाता आश्रम, श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में मंगलवार को आयोजित रामानुजाचार्य जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि रामानुजाचार्य ने लगभग 1000 साल पहले अपने 74 अनुयायियों को देश-विदेश में जाकर वैष्णव मत का प्रचार-प्रसार करने का आदेश दिया। उन्होंने जाति-संप्रदाय का भेद किए बिना पंच संस्कारों के माध्यम से हरिजन व दलितों को भी वैष्णव संप्रदाय में दीक्षित किया। जीयर स्वामी ने जन्म दिवस को उसी तिथि व उसी नक्षत्र में मानने से होने वाले लाभों की जानकारी दी। उन्होंने विष्णु अवतारों में से एक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्र की व्याख्या की और बताया कि अपनी मर्यादाओं का भलीभांति पालन करने के कारण ही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। इसके पश्चात वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रामानुचार्य स्वामी के उत्सव विग्रह का अभिषेक किया गया और प्रसाद वितरित किया गया। अनंत श्री विभूषित श्रीमद् जगद् गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने आश्रम में पधारे संतों का स्वागत किया एवं भाष्यकार रामानुचार्य के जीवन पर प्रकाश डाला। समारोह में जगद् गुरु कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य जी महाराज भी उपस्थित थे। उन्होंने आश्रम से जुड़े अपने संस्मरणों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि वैकुंठवासी पूज्य गुरुदेव जगद् गुरु रामानुजाचार्य स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज की तपस्या से यह स्थान एक सिद्धपीठ हो गया है। भक्तों को उनके चमत्कार अब भी देखने को मिलते हैं। शाम को श्री रामानुचार्य की शोभायात्रा का भी आयोजन किया गया। जिसमें हजारों भक्तों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया।



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