सिद्धदाता आश्रम में श्रद्धा के साथ मनाया गया दशहरा पर्व
23-10-2012

सूरजकुंड रोड स्थित श्रीलक्ष्मीनारायण दिव्यधाम सिद्धदाता आश्रम में मंगलवार को दशहरा पर्व मनाया गया। इससे पहले आश्रम के अधिष्ठाता आचार्य अनंत श्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद्जगदगुरू रामानुजाचार्य स्वामी पुरूषोत्माचार्य जी महाराज के सान्निध्य में आचार्याे ने विश्व कल्याण के लिए नवरात्र पर्व की विशेष पूजा-अर्चना संपन्न करवाई। इसी के साथ बीतेे आठ दिन से आश्रम में चल रही नवरात्र पर्व की विशेष पूजा-अर्चना हवन-यज्ञ के साथ शांत हुई। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने नवरात्रों में गुरु द्वारा बताए गए नियमों के मुताबिक रात-दिन में अलग-अलग पहर में विधिवत पूजा की। कुछ श्रद्धालुओं ने पूजा के दौरान नए अनुभव होने का दावा किया है। पूजा-अर्चना के बाद स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। इसके लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी लाईन पूरे दिन लगी रही।

इस मौके पर स्वामी पुरूषोत्माचार्य जी महाराज ने प्रवचन किया। प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं की आंखों से टप-टप अश्रु बह रहे थे। स्वामी जी ने कहा कि जन्म देने वाली अपनी मां की सेवा करें। गुरु का स्थान भी मां के बाद आता है। इन नवरात्रों में यह व्रत लिया जाए कि सभी मां की सेवा करें। सभी महिलाओं का सं मान करें। मां बच्चों को संंस्कारवान बनाती है। स्वामी जी ने एक कहानी के माध्यम से श्रद्धालुओं को बताया कि एक मां ने अपना पूरा जीवन संघर्ष करके बेटे को बड़ा डॉक्टर बनाया। बेटे की शादी की। शादी के तुुरंत बाद बेटा बहू के बहकावे में आकर मां को वृद्धाश्रम में छोड़ आया और हर महीने सौ रुपये भेजने लगा। बुजुर्ग महिला ने अंतिम समय में अपने बेटे से मिलने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन बेटे ने कहा कि आज क्लीनिक में मरीज अधिक हैं इसलिए मै कल मां से मिलने आउुंगा। अगले दिन जब डाक्टर मां से मिलने गया तो उसका देहांत हो चुका था। आश्रम के लोगों ने डॉक्टर को एक लिफाफा दिया तो उसमें वे नोट थे जो डॉक्टर मां को हर महीने भेजता था। मां ने लिखा कि अंतिम समय में मै तुझसे मिलना चाहिती थी। इन रुपयों को संभाल कर रखना हो सकता है वृद्धावस्था में इन पैसाों की जरुरत तुझे पड़े। तुने तो मुझे पैसे भी दिए हो सकता है तेरे सामने ऐसी परिस्थिति आए कि तेरा बेटा तुझे पैसे न दे। इसलिए मां-बाप की सेवा करें, उनका प्रतिदिन आशीर्वाद ले उनका तिरस्कार ने करें। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी जीने कहा कि दशहरा महापर्व में से एक है। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक इसलिए कि भगवान विष्णू ने इस दिन राक्षणों के नाश के लिए स्वयं पूजा की। नवरात्रों में शक्ति की उपासना होती है। शक्ति के बगैर कोई कार्य नहीं हो सकता है। मां सिद्धदात्री धर्म अर्थ काम व मोक्ष देने वाली है। सिद्धीदात्री विश्व कल्याण करती है। भगवान राम ने किष्ककंधा पर्वत पर मां की पूजा की। इसमें नारद जी ने आचार्य बने। राम लक्ष्मण ने अनुष्ठान किया। आठवें दिन मां ने दर्शन दिए। और मां ने राम को रावण पर विजय का उपाए बताया और 11000 वर्ष तक राज्य करने का आशीर्वाद दिया।



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